Friday, November 28, 2008

देश की आर्थिक राजधानी में मौत का साया {अब तो हद हो गई }

मेरा सभी देसवासियों से निवेदन है कि मुंबई में हुए आतंकी हमले को भूले नही और अपने आत्म सम्मान के लिए आम नागरिक को इससे लड़ने की शपथ लेनी चाहिए !अब पानी सर के ऊपर से गुजरने लगा है हमें देश को इन नेताओं के सहारे नही छोड़ना चाहिए !नेताओं का क्या है ये तो फ़िर किसी हमले में कह देंगे कि आतंकी समुदर या जल मार्ग से आ गए इनका क्या बिगड़ गया ! अगर मारे गए तो बेचारे निर्दोष लोग और हमारे बहादुर सैनिक ! अब ये नेता बड़े -बड़े भाषण देंगे और शहीदों के नाम पर किसी सडक का नाम रख देगे और भूल जायेंगे ! फ़िर शुरू होगी वोटो की राजनीती और फ़िर इस हमले के लिए किसी साधू शंत का नाम लेकर मुस्लिम वोटो को अपनी और आकर्षित करने की कोशिश करेंगे !इन् नेताओ का क्या बिगड़ गया इनको तो वोटो की राजनीती के लिए मुद्दा चाहिए और इनको इन हमलो के द्वारा वह मुद्दा मिल जाता है !
हमें आम लोगो को चाहिए की कोई ऐसा कानून बनाये की जब भी कोई ऐसा हमला हो तो मुकाबले के लिए सबसे आगे इन नेताओ को भेजा जाए फ़िर देखना अगर एक भी हमला हो तो ?और जीतनी फोज और पुलिस इनकी सिकोरिटी में लगी उसका ध्यान भी बॉर्डर पर रहेगा , अब तो पुरी की पुरी फोर्स इन नेताओ की सिकोरिटी में लगी हुई है !बॉर्डर के लिए हमारी फोर्स के पास कहाँ समय है !
वाह इंडिया .........
अफजल को माफ़ी ,
साध्वी को फांसी ,
र.स.स.पर प्रतिबंद ,
सेमी से अनुबंद ,
अमरनाथ यात्रा पर लगान ,
हज के लिए अनुदान .............
वाकई मेरा भारत महान !

2 comments:

not needed said...

जब तक लोक सत्ता मजबूत नहीं होगी, भारतीय लोक तंत्र (डेमोक्रेसी) का सच्चा सशक्तिकरण नहीं हो पायेगा. लोक सत्ता तभी मजबूत होगी, जब लोक यानी जनता इस में भागेदारी निभाएगी. आज कितने लोग वोट डालने जाते हैं? कितने लोग अपने हलके के चुने हुए उम्मीदवारों से विकास का ब्यौरा मांगते हैं? लोगों को दलगत राजनीती से ऊपर उठ कर अपने राज नेताओं से पूछना होगा की उनकी प्रोग्रेस रिपोर्ट क्या है? क्योंकि सरकार जो भी पैसे खर्च करती है, वो जनता का पैसा (टैक्स) ही तो है!

Urmi said...

आपके बेहतरीन शायरी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आपकी टिपण्णी सबसे निराली होती है और मज़ेदार भी!
बहुत ही सुंदर रचना है !